Saturday, December 18, 2010

बेटी : च्यार कवितावां


बेटी-1
बिजळी रो
बिल भरण रा
पिसा नीं हा ।
बाप रो
ढिलो मूं देख
बेटी आप री
पेटी मांय सूं
मुड़ेडा रिपिया
ल्याई ।
ल्यो बापू
फेर दे देइयो ।
***

बेटी-2     
कदी
किणी री
बेटी
अब बणी
मां ।
बेटी रा
दुख
देख
सिसकारो नाख
बोली
बेटी तो
किणी रै
जामैई ना ।
***
बेटी-3
ब्याह पछै
बेटी नै
पीर च्यार दिन ई
छोड़ै कोनी
जुवाई
लार रो लार
आज्यै
मूंडो लटकार
कैवै-
म्हारी मा री
आसंग कोनी
म्हे सोचूं-
छोरी तो पूरी सूरी
पढ़ी ई कोनी
अर डाक्टर
कद पछै हुयगी !
***

बेटी-4
बेटी री
मां नै
सुख सूं सोवणो
कठै ?
क्यूंक
जद बा
बेटी ही
जणां उण री
मां
सूती सूती
चिमकती, जागती
सारी सारी रात ।
***

About Me

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जलम 31 मई, 1962 नै हुयो । राजस्थानी भाषा आंदोलन रा हरावळ सिपाही रूप ओळख । सूरतगढ़ टाइम्स रै संपादक रै रूप में राजस्थानी साहित्य अर गतिविधियां नै बरसां सूं घणै चाव सूं प्रचारित-प्रसारित कर रैयो हूं, म्हारी पोथ्यां में "तांतड़ै रा आंसू" (बाल कथावां), "काचो सूत" (कहाणी संगै), "रीचार्ज" (एकांकी संगै) रै सागै ई "बेटी" नांव सूं कविता-संग्रै ई छप्योड़ी है । कहाणी "औसर" माथै टेली फिल्म ई बणाइजी । केई मान-सम्मानां अर पुरस्कार ।